ये बातें.
मन की बातें.
तुम हो मन में,
मन सुंदर है.
मन ख़ुश क्यूं है?
तेरा घर है.
छोटा या बड़ा
पर सुंदर है.
सपनों सी बनी, फ़ूलों से सजी
भावों से भरी, कुछ कुछ बहकी
क्या कहते इसे? मैं क्या जानूं?
बस जानूं ये है तेरे लिए
दिल में धड़कन है तेरे लिए.
थोड़ा सा डर है तेरे लिए.
कुछ मन में कसक है तेरे लिए.
अनदेखा सफ़र है तेरे लिए.
आँखों में नमी, होठों पे हँसी.
मीठी सी चुभन, थोड़ी सी ख़ुशी.
प्यारा एहसास सब तेरा है
ढेरों विश्वास सब तेरा है
दिन-रात का मंज़र तेरा है.
भावों का समंदर तेरा है.
वो ख़त भी तेरे नाम के हैं
जो भेजे मैने कोरे हैं
औ उनको भेजा मैने ही
जो ख़ामोशी से पूरे हैं
वो वक़्त भी सारा तेरा है
जब मैं अकेला होता हूँ
तुम रहो- ना रहो साथ मेरे
मैं अक्स तुम्हारा छूता हूँ
रातों को बातें होती हैं
जागो तो बातें होती हैं
सो जाओ तो सपने में
भी मुलाक़ातें होती हैं
तुम हो तो मेरा होना है.
तुम ना होते तो क्या होता
होता मैं तब भी, लेकिन
होने का मतलब क्या होता?
Monday, July 23, 2007
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