यह कविता मेरे दोस्त अमित ने लिखी है। तारीख २३ अप्रील २००७, वक़्त रात के १ बजकर १३ मिनट।
नींद कहॉ है क्या उसका पता है
कोई उसे बुला दो आवाज़ लगा दो
इन आंखों में अब नहीं वो रहती
उसका घर तो अब और कहीँ है
हो सके अगर तो उसको समझा दो
कोई चाहे उसको ये उसे बता दो
बहुत कम लिखा है उसने, लेकिन जब लिखा है तो निरुद्देश्य कभी नहीं लिखा।
Tuesday, May 1, 2007
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1 comment:
amit ko pahle kai bar padha hai..bahut hi bhav hai uski kavitaaon mein..baat bilkul sahi hai kabhi bhi nir-uddeshya nahin likha usne
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